Friday, 28 March 2014
चुनाव नजदीक हैं भईया ..................................
चुुनाव नजदीक हैं और आरोप प्रत्यारोप का दौर पहले से और ज्यादा गरम हो गया है । एक और कांग्रेस है तो दूसरी और भाजपा है और इन दोनों के मध्य में आप पार्टी सेंध लगाने को तैयार है और इन दोनों कि जुबानी जंग का लाभ लेने के बारे में सोच रही है
लेकिन आप पार्टी नई है और अनुभवहीन है जिसके चलते उसने पायी हुई दिल्ली की सत्ता को छोड दिया । जिसकी भर पाई वो लोक सभा चुनाव में करने के वादे कर आपना हित साध रही सी प्रतीत होती है। लेकिन आपको कमजोर आंकने वालों को उसने दिल्ली विघान सभा चुनाव में बता दिया था कि जीत कर हम सत्ता बदलने का मदा रखते हेै भला वो सरकार 49 दिन की ही क्यों न हो । बरहाल ये राजनीत है इसमें धोखा देना तो चलता ही है ।
लेकिन मुददा यहां धोखे का नहीं है यहां मुददा चुनाव काा है कि अब कि बाार कौन सी सरकार । लेकिन पार्टीयों की आपसी जुबानी जंग से लोगों में आपने कार्यो का बखान कर रहीं है और उनकी सहानुभूति पाने को वादे पर वादे कर रहीं है और एक दूसरे के किये काम को नकार रहीं है लेकिन आज का वोटर जागरूक है और इन सभी पार्टीयों को आपनी समझदारी पर तोल रहा है । ये बात ये पार्टीयां भालि-भांति जानती हैं । इसलिए आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू करके एक नई बहस को जन्म दे रहीं है जो जाति से आधारित है ।
भाजपा के प्रमुख राजनाथ और मोदी कि राजनीत जातिवाद पर ही आग्रसित है क्योंकि भाजपा ने ट्रमकार्ड मोदी को मुख्यमंत्री बनाना स्वीकार किया और यहां उनकी जाति को प्रमुखता दी गई जो उनकी जीत का बिगुल बजाती सी दिख रहीं है क्योंकि शुरू से भारतीय राजनीत कि दिशा और दशा जाति ही निर्धारित करती है ।
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