Friday, 24 June 2016

क्रिकेट के मैदान बनी जमीन, अब बन रहीं है कालोनी

कई सालों से खाली पड़ी जमीन अब बच्चों के खेलने का मैदान बन गई है लेकिन कुछ सालों में कालोनी की जिस प्रकार से तरक्की हुई है। उससे तो ऐसा ही लगता है कि अब तो बच्चों के खेलने की जमीन पर कब्जा होना अनिवार्य है और कुछ भू माफियांओं ने अपना कब्जा काबिज भी कर दिया है लेकिन कोई बोलने वाला नहीं है पंरतू कई सालों से सुनते आ रहे हैं हम कि वो जमीन ग्राम पंचायत की है। लेकिन यकायक इस जमीन के वारिस कहां से पैदा हो गये ये बात हम जैसे लोगों को कचूटती है जिन्होने अभी तक ये जमीन खाली ही देखी थी लेकिन यकायक मलवै का भराव और जमीन को नापने का काम शुरू हो गया जिससे आस पडोस वाले भी हैरान हो गये कि इस जमीन का मलिक आखिर है कौन ? जब इस जमीन के भाव कौड़ियों के थे तब कोई क्यों नहीं अपनी दावेदारी ठौंकने आया अब जब ये जमीन करोड़ों की पुत हो गई तो इसके भी जन्मदाता पैदा हो गये। सरकार तो हमेशा से ही मूक दर्शक रही है जो सिर्फ देखना जानती है इसके सिवाय उस पर कोई काम बचा ही नहीं है अब इस जमीन की फरियाद लेकर कोर्ट में कौन जाये ? ये अहम प्र्श्न है जो हर आदमी के जहन में है लेकिन कोई पहल ही नहीं करना चाहता अगर पहल हो भी जाये तो कोई अपनी जान इन भू माफियों को देना नहीं चाहता
    अब सभी इसी इंतजार में हैं कि कब हमसे ये जमीन छिने जो कभी बच्चो के क्रिकेट का मैदान और बारिश के समय में झील में तबदील हो जाया करती थी और बच्चे ही नहीं बड़े भी मछली पकड़ने का आनन्द लेने आया करते थे जो अब कालोनी कटने के बाद कहीं खो जायेगी कुछ समय बाद खुले आसमान का आनन्द लेने वाले बंद गलियों के मुसाफिर हो जायेंगे जिन्हें आसमान के सही नजारे इंडिया गेट पर ही जाकर मिलेगें जिन्हें वो अपनी कालोनी में मिस करेंगे |
लेकिन अहम प्रश्न ये है कि आखिर कब तक खाली पड़ी हुई जमीन पर भू माफिया सक्रिय रहेंगे । एक ओर तो दिल्ली सरकार बड़े बड़े दावे करते थकती नहीं और दूसरी और उनकी नाक के नीचे भू माफिया अपना कारोबार बड़ा रहे हैं तो वाकैय ही शर्म वाली बात है जिसको लेकर दिल्ली सरकार कटघर में साफतौर पर खड़ी है  कांग्रेस द्वारा पारित उस कानून को भी ताक पर रख दिया गया है जिसमें कहा गया था कि अब दिल्ली के अंदर कोई भी नई कालोनी बजूद  में नहीं आयेगी लेकिन कांग्रेस का राजकाल खत्म होने के बाद उनका वो कानून भी खत्म हो गया जो भू माफियाओं की नाक में नकेल कस रहा था लेकिन अब आम आदमी पार्टी की सरकार में भू माफिया आवार सांड की तरह फिर से लोगों को क्षति पंहुचाने के लिये तैयार है और इन आवारा सांडो के मालिक इंतजार में है कि कब ये सांड आम जनता पर वार करें और हम आम जनता की  मरहम पटटी के बहाने उनसे मुंह मांगी कीमत वसूल करें जो आम जनता को हसकर या तो रोकर देनी ही पड़ेगी ।
                                                   -सोहन सिंह

Wednesday, 22 June 2016

हम दिल्ली वालों का दर्द

भई केजरी जी के बारे में सब जानते हैं कि केजरी जी कितने पानी में हैं उन्हें दिल्ली के विकास की कितनी परवाह हैं वो तो मोदी की न चाहते हुए पब्लिसिटी में लगे हुए हैं उन्हें तो सुबह मोदी ’शाम मोदी नजर आता है यदि छींक भी वो लें मोदी का नाम जरूर निकलेगा ‘ अछीछीछी मोदी’ वाह रे दिल्ली के मुर्ख मंत्री जनता ने तुम्हें किसी का गुणगान करने के लिए नहीं जिताया बल्कि काम करने के लिया जिताया है तुम में उसे एक अच्छे आम आदमी की छवि दिखी थी तभी पूरी दिल्ली एकजुट होकर तुम्हारे समर्थन में खड़ी थी लेकिन आज तुम उसी दिल्ली के समर्थन का मजाक बने रहे हो मोदी चालीसा गाकर,
याद करो अपने वादो को जो अन्ना संग बैठ कर रामलीला मैदान से लगाए थे उनमें से शायद ही तुमने कोई वादा पूरा किया हो । जिसका दंभ भर सकते हो । हमने तो तुम्हे राजनीति को बदलने के वास्ते भेजा था । लेकिन तुम ही बदल गए , मुझे याद है कि तुम्ही ने कहा था कि गंदी नाली को साफ करना हो तो नाली में ही उतरना पड़ता है लेकिन तुम तो नाली में ऐसे उतरे कि तुम भी उस नाली का हिस्सा हो गए हो । जिसको साफ करने का कभी तुमने और तुम्हारे साथियों ने वादा किया था ।
सत्ता में आते ही तुमने पहले काम जो किया था वो भी आलोचित था तुमने ही वीवीवी आई पी कल्चर का आगाज किया था । क्या तुम्हें उस समय आपने आपको आम आदमी कहने में शर्म आ रही थी जो तुम ने इस कल्चर को आग दी । तुमने आपन गुरू , मित्रों अपने चाहने वालों से दूरियां बढ़ाई हैं जिसका खामियाजा बाघियों को जन्म देकर करा । मुझे याद है तुमने राजनीत में आने से पहले जनता को लोक लुभावने सपने दिखाया जो हकीकत में दूर की कोड़ी थी लेकिन विश्वास था तुम्हें उन पर की तुम पूरा करोगे और जनता आस लगाकर बैठी थी लेकिन क्या हुआ उन वादों का ये आज किसी से नही छुपा है तुम ही कहते थे कि न मैं गाड़ी लूंगा न मैं बंग्ला लूंगा लेकिन आखिर कार तुम पलटे और सब लिया ।
  सुना है कि अब केजरी राज जी एक तरफा चौबारा सजाने में व्यस्त हैं पंजाब को हाथिया लेना चाहते है अपने उस अंदाज से जिसकी बयानगी कुछ समय पहले दिल्ली में की थी । और कुछ बयानगी 49 दिन की सरकार में कि थी जो मात्र ट्रेलर भी थी । क्या पता था हमें कि फिल्म इतनी स्वार्थ पूर्ण होगी । हर न्यूज चैनल , अखबार , पत्रिकांओं में शर्मदगी का नाटक करते हुए माफी का मैलोडी ड्रामा खूब हिट हुआ केजरी जी दिल्ली ने आपको सर आंखों पर बिठाया लेकिन भ्रम के दिन चार होते हैं और असलियत के दिन हजार होते हैं शायद हम दिल्ली वाले ये भूल गये थे जिन्हें आप अब हमें याद दिला रहे हो ।
  हर बार सुनने में आता है कि केंद्र काम में दखल दे रही है केन्द्र ये कर रही है केन्द्र वो कर रही है लेकिन सच तो ये है की आप ही कुछ नही करना चाहते जो बहुत ही निनदनीयता के साथ साथ दिल्ली के विकास में बाधक है । आपने दिल्ली को रातों रात जो स्वप्न दिखाया थे उनकी हकीकत अब समझ आ रहीं है कि स्वप्न में तोड़े गये चीकू कडैल ही होते है । लेकिन जनता ने वो चीकू तोड़े जिनका स्वाद अब पता चला है । आपने कांग्रेस के पदचिन्हों पर चलते हुए अपने 67 विधायकों का वेतनमान 20 प्रतिशत बढ़ाया लेकिन दिल्ली की जनता जो सुबह काम पर जाती है और रात को लौटती है वो 15-16 हजार प्रतिमाह लेकर उनके लिये आपका कोई दायित्व नहीं बनता । हां आपने बिजली पानी के दाम कम किये क्या इतने भर से ही लोग संतुस्ठ है केजरी जी जनता ने और पार्टियों पर विश्वास करना बंद कर दिया था और आप पर विश्वास जताया था आप दिल्ली को बेहतर राज्य बनायेंगे फिर भारत को लेकिन क्या पता था जब ढोल ही फटा होगा तो बजेगा क्या ?
   केजरीवाल जी मैं छोटा ही सही बात बहुत पत्ते की कहता हूं आप दिल्ली को देखिये बाकि सब को छोड़िये । आप दिल्ली को अच्छा और उन्नत राज्य बनायेंगे तो भारत को भी उन्नत बनायेंगे ।
                     सोहन सिंह