कहने वालों के मुंह पचास होते हैं करने वाले बहुत कम, लेकिन जम्मू कश्मीर मे हाल में जो कुछ हुआ बहुत पहले होना चाहिए था जिससे की हमारी सेना के सैनिक शहीद न होते। और पाक परस्त कश्मीर के अलगाववादियों को उनकी औकात पहले ही दिख जाती।
कहने वाले तो पहले भी मोदी जी को कठघर में खड़ा कर रहे थे। लेकिन भाजपा ने अपना वह अद्म्य साहस सरकार में रहते हुए भी दिखाया था, जो कांग्रेस पार्टी कभी न दिखा पाई जम्मू कश्मीर में पिछले 3 वर्षों में जो कुछ कश्मीर में घटा उसे पूरा विश्व जानता है कि उसमे किन लोगों और पूर्व में किन सरकारों की गलतियां थी जिसकी बयानगी मोदी जी की सरकार को उठानी पड़ी ।
भाजपा ने उस चुनौती को भरपूर तरीक्के से निभाया जिसको कभी कांग्रेस और अन्य दल निभा नहीं पाये थे उन्होंने मात्र उपरी ढोलों का राग छेड़ा जिसको न तो जनता ने सराहा था न ही भारतीय सेना ने उस वक्त सैनिकों के हाथ बांध दिये जाते थे जिससे सेना के प्रमुख सरकारों से खफा रहते थे , वह वक्त गवाही देता है की भारतीय सेना ने आंतकिस्तान के हाथ ही खाये थे कभी उन्हें मुंहतोड़ जवाब नहीं देने दिया गया और अमन की आड़ में 2009 दिल्ली जैसे शहर में 6-7 जगह बम ब्लास्ट करवाये। जिसकी आहट से आज भी दिल्ली कांप जाती है यह वही समय था जब भारत के शासक मनमोहन सिंह थे जिनको ’मौन सिंह‘ की उपाधि दी गई थी। न उस वक्त कश्मीर में खून रूका था और न अब रूक रहा है सरकार की तरफ से कडा़ रूख अपनाया जा रहा है जिसके चलते विपक्षी दज चिल्ला रहे हैंे कि पत्थर बाजों को क्यों मार जा रहा है यहां तक कि सेना के प्रमुख को गली का गुंडा तक बता दिया गया, जो बेहद ही शर्मनाक है ।
सरकार ने पीडीपी से गठबंधन को तोड़ दिया है जिस पर विरोधी कह रहे हैं कि पहले क्यों यह गठबंधन नहीं तोड़ा गया। कहीं तक उनकी बात भी सत्य प्रतीत होती है लेकिन इसमें भी अपवाद है वह यह कि यदि यह गठबंधन पहले ही टूट जाता तो पीडीपी सरकार की मंशा का पता नहीं चल पाता की पीडीपी सच में यह चाहती है कि कश्मीर भारत का हिस्सा बन पाये या नहीं, जिसका पता पिछले 3 सालों में केन्द्र सरकार का चल गया जिसमें केन्द्र सरकार ने जम्मू कश्मीर में पीडीपी सरकार को मौका दिया की वह अपनी मुख्यमंत्री को चुने लेकिन महबूबा मूफ्ती ने पिछले 3 वर्षों में पत्थरबाजों को सहमति दी कि वह भारतीय सेना पर पत्थरबाजी कर सके जिसके चलते वहां पत्थरबाजों को पाकिस्तान फंडिंग करता जो वहां के आंतकवादियों और पत्थरबाजों को क्षय देता है। जिससे केन्द्र सरकार ही नहीं बल्कि भारत के सभी राजनैतिक दल परेशान थे जिसके चलते हर दिन कोई न कोई सेना पर हमला कर देता था जिसका मुंह तोड़ जवाब सेना देने में सक्षम होती यदि उनके पत्थर बाजों पर सेना सख्ती दिखाती तो विपक्ष में बैठे रहनुमा शोर मचाना शुरू कर देते की पत्थरबाज अभी बच्चे हंै उन पर पलेटगन से फायर नहीं करना चाहिए। जिसके चलते भारतीय जनता पार्टी सेना को आदेश देने मंे हिचकती नजर आती थी जिसका फायदा लेकर आतंकी आतंक की वारदात कर के भाग जाया करते थे। जिसके चलते भरतीय सरकार और पीडीपी को गठबंधन टूटा। और अब वहां राज्यपाल शासन लागू हो गया है ।
Wednesday, 20 June 2018
छूट गया पीडीपी और भारतीय जनता पार्टी का साथ।
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