मेरा नाम सोहन सिंह है मेरी दिनचर्या सुबह 5.30 से शुरू हो जाती है जिसमें में सुबह के वक्त टहलने जाता हूं जो करीब 1 घंटे तक चलता है और उसके बाद थोड़ी बहुत वरजिस भी करता हूं जिससे की में आने वाली दिनचर्याें में स्वस्थ्य रहूं और रोजना की तरह ही अपने काम को पूरी ईमानदारी और मेहनत से करता रहूं।मैं मूल निवासी भारत में स्थिति राज्य उतर प्रदेश का हूं। मेरा जन्म जिला अलीगढ के छोटे से गांव बढ़ारी खुर्द का है। मेरे गांव में करीब मेरे 6 साल बीते और मेरे पिताजी मेरी अच्छी शिक्षा के लिए मुझे दिल्ली ले आये जिसमें मेरी प्राथमिक शिक्षा एक प्राइवेट् स्कूल जिसका नाम सोनिया पब्लिक स्कूल था में कराई लेकिन किसी परिस्थिति वश वह स्कूल मुझे छोड़ना पड़ा जिसके बाद मैंने पूर्वी विनोद नगर स्थित नगर निगम के विद्यालय में दाखिला लिया जहां पर मैंने अपनी 5 वीं कक्षा तक की पढ़ाई पूरी की और उस समय दिल्ली में 5 वीं कक्षा में बोर्ड हुआ करता था, जिसको पास करके ही दिल्ली सरकार के राजकीय श्रेणी के विद्यालयों में प्रवेश मिलता था। 5वीं कक्षा उतीर्ण करने के बाद, मेरा राजकीय बाल विद्यालय, पूर्वीय विनोद नगर, दिल्ली में दाखिला हुआ। यह स्कूल पूर्वीय विनोद नगर में है, यह आज भी टैंट वाले स्कूल के नाम से जाना जाता है। यहां पर मैंने मात्र 8वीं कक्षा तक पढ़ाई की। क्योंकि हम अपने शुरूआती दिनों में दिल्ली जैसे महानगर में किराये पर रहा करते थे। सन् 1998 में मेरे पिताजी ने बुराड़ी जोकि उतरी दिल्ली में स्थित है वहां पर प्लाॅट लिया और आनन्-फानन् में वह प्लाॅट बनवाया और हम वहां पर स्थानांतरण हुए। जिसके बाद मैंने अपनी पढ़ाई का शेष बचा भाग जोकि 9वीं कक्षा थी उसमें दाखिला लिया। बुराड़ी के सर्वोदय बाल विद्यालय से ही 10वीं और 12वीं कक्षा, दिल्ली के सी.बी.ए.सी बोर्ड से उतीर्ण की। 12वीं कक्षा के बाद आगे की शिक्षा के लिए मैंने दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस काॅलेज में दाखिला लिया और यहां से मैंने हिन्दी स्नातक में डिग्री प्राप्त की। यह वो दिन थे जब मेरी लेखिनी में सुधार हुआ और मुझे कविताएं, लेख व्यंगत्मक टिप्पणी लिखने को शौक जागा। मैंने रामजस काॅलेज की पत्रिका में कुछ कविताएं लिखी जिसकी सरहाना मुझे मिली। यही वह समय था जहां पर में पत्राकारिता के प्रति समर्पित हुआ और मैंने डाॅ. भीमराव आम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा से पत्रकारिता में स्नाकोतर की और करीब 6 हफ्तों की विश्वविद्यालय के कम्युनिटी रेडियो में इंटरनशिप की और आर.जे की ट्रनिंग भी ली, इसी दौरान मैंने आगरा के स्वराज टाईम्स, अखबार और ए. टीवी न्यूज चैन में इंटरनशिप भी की। जिसके बाद बुराड़ी में स्थित राज पाॅकेट डिपो में मैंने लगभग 1 वर्ष हिन्दी प्रोफरीडर का काम काम किया। इसके बाद मैंने फाॅरवर्ड प्रेस पत्रिका का दामन थाम जिसमें मैंने एक फ्रेशर्स के तौर पर काम आरम्भ किया जहां मैंने कनिष्ठ सह-संपादक और पत्रकार के तौर पर काम सीखा। यहां पर मैंने 2 वर्ष काम किया जिसके बाद मैंने हाॅरिजोन प्रिंटर एण्ड पब्लिकेशन हाऊस में फ्रिलांस काम किया। यह मेरा अतिरिक्त वेतन का स्रोत था जिसके बाद में कुल्लू की हसिन वादियों में अपना हिमाचल सप्ताहिक पत्र से जुड़ा जहां पर मैंने करीब एक वर्ष तक हसीन वादियों में रहते हुए काम किया।Wednesday, 1 August 2018
मेरी जीवनी....
मेरा नाम सोहन सिंह है मेरी दिनचर्या सुबह 5.30 से शुरू हो जाती है जिसमें में सुबह के वक्त टहलने जाता हूं जो करीब 1 घंटे तक चलता है और उसके बाद थोड़ी बहुत वरजिस भी करता हूं जिससे की में आने वाली दिनचर्याें में स्वस्थ्य रहूं और रोजना की तरह ही अपने काम को पूरी ईमानदारी और मेहनत से करता रहूं।मैं मूल निवासी भारत में स्थिति राज्य उतर प्रदेश का हूं। मेरा जन्म जिला अलीगढ के छोटे से गांव बढ़ारी खुर्द का है। मेरे गांव में करीब मेरे 6 साल बीते और मेरे पिताजी मेरी अच्छी शिक्षा के लिए मुझे दिल्ली ले आये जिसमें मेरी प्राथमिक शिक्षा एक प्राइवेट् स्कूल जिसका नाम सोनिया पब्लिक स्कूल था में कराई लेकिन किसी परिस्थिति वश वह स्कूल मुझे छोड़ना पड़ा जिसके बाद मैंने पूर्वी विनोद नगर स्थित नगर निगम के विद्यालय में दाखिला लिया जहां पर मैंने अपनी 5 वीं कक्षा तक की पढ़ाई पूरी की और उस समय दिल्ली में 5 वीं कक्षा में बोर्ड हुआ करता था, जिसको पास करके ही दिल्ली सरकार के राजकीय श्रेणी के विद्यालयों में प्रवेश मिलता था। 5वीं कक्षा उतीर्ण करने के बाद, मेरा राजकीय बाल विद्यालय, पूर्वीय विनोद नगर, दिल्ली में दाखिला हुआ। यह स्कूल पूर्वीय विनोद नगर में है, यह आज भी टैंट वाले स्कूल के नाम से जाना जाता है। यहां पर मैंने मात्र 8वीं कक्षा तक पढ़ाई की। क्योंकि हम अपने शुरूआती दिनों में दिल्ली जैसे महानगर में किराये पर रहा करते थे। सन् 1998 में मेरे पिताजी ने बुराड़ी जोकि उतरी दिल्ली में स्थित है वहां पर प्लाॅट लिया और आनन्-फानन् में वह प्लाॅट बनवाया और हम वहां पर स्थानांतरण हुए। जिसके बाद मैंने अपनी पढ़ाई का शेष बचा भाग जोकि 9वीं कक्षा थी उसमें दाखिला लिया। बुराड़ी के सर्वोदय बाल विद्यालय से ही 10वीं और 12वीं कक्षा, दिल्ली के सी.बी.ए.सी बोर्ड से उतीर्ण की। 12वीं कक्षा के बाद आगे की शिक्षा के लिए मैंने दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस काॅलेज में दाखिला लिया और यहां से मैंने हिन्दी स्नातक में डिग्री प्राप्त की। यह वो दिन थे जब मेरी लेखिनी में सुधार हुआ और मुझे कविताएं, लेख व्यंगत्मक टिप्पणी लिखने को शौक जागा। मैंने रामजस काॅलेज की पत्रिका में कुछ कविताएं लिखी जिसकी सरहाना मुझे मिली। यही वह समय था जहां पर में पत्राकारिता के प्रति समर्पित हुआ और मैंने डाॅ. भीमराव आम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा से पत्रकारिता में स्नाकोतर की और करीब 6 हफ्तों की विश्वविद्यालय के कम्युनिटी रेडियो में इंटरनशिप की और आर.जे की ट्रनिंग भी ली, इसी दौरान मैंने आगरा के स्वराज टाईम्स, अखबार और ए. टीवी न्यूज चैन में इंटरनशिप भी की। जिसके बाद बुराड़ी में स्थित राज पाॅकेट डिपो में मैंने लगभग 1 वर्ष हिन्दी प्रोफरीडर का काम काम किया। इसके बाद मैंने फाॅरवर्ड प्रेस पत्रिका का दामन थाम जिसमें मैंने एक फ्रेशर्स के तौर पर काम आरम्भ किया जहां मैंने कनिष्ठ सह-संपादक और पत्रकार के तौर पर काम सीखा। यहां पर मैंने 2 वर्ष काम किया जिसके बाद मैंने हाॅरिजोन प्रिंटर एण्ड पब्लिकेशन हाऊस में फ्रिलांस काम किया। यह मेरा अतिरिक्त वेतन का स्रोत था जिसके बाद में कुल्लू की हसिन वादियों में अपना हिमाचल सप्ताहिक पत्र से जुड़ा जहां पर मैंने करीब एक वर्ष तक हसीन वादियों में रहते हुए काम किया।
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