Friday, 5 June 2015

धर्मशाला में हुआ था बलत्कार,


दलितो और आर्थिक स्थिति से कमजोर तबकों के अधिकार की जहां बात आती हैं वहां सरकार के नुमांईदे कनी काटते क्युं नज़र आते हैं, क्या उनेह उन लोगों की दशा दिखती नही जो 21 वी सदी के , भारत में अपने मान समान को आज भी तलाश रहे हैं और लगातार संघर्ष कर रहे  हैं,
ताजा वकया हिमाचल प्रदेश का हैं, जहां पर (धर्मशाला) इक लड़की का बेदर्दी से प्रतिकार किया जिसमें राजनेताओं के बिगडेल लड़के एक असहाय और समाज के निम्न तबके से आई हुई लड़की का बलात्कार करते हैं, और प्रशास्निक आधिकारी और पुलिस वाले मूक दर्शक की भांति ये सब देखते हैं,
जहां बात उस लड़की को इंसाफ दिलाने की आती है तो सारा का सारा दोष उस लड़की पर  मढ कर केस बंद कर दिया गया है,
क्या उसका  कसुर ये था की वह निम्न तबके से है या ये था की वह एक लड़की है, उस पर नाहि पुलिस वालो को रहम आया नाहि , मिडिया के चर्चित आखबारों को, उनहोने एक पहराग्राफ कि खबर छाप कर उसके बाद उस लड़की की कोई सुद न ली,
  और तो गुनहगार वही लड़की बताइ जा रही है, जिसके साथ अन्याय हुआ है, क्या 21वी सदी की पढी लिखी जमात ये हैं, जो एक और निर्भया पर ह्त्यचार होते देख रही है,  या इस मोके में हैं की इस तरह की निर्भया और बनती रहे, .
      दोस्तों मिडिया ने अपनी तरफ़ से जितना किया वो काफ़ी है, अब हमें इंसान होने के नाते सोचना है की अब और नही, अब तो जागना होगा,

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