Monday, 3 June 2013

नशाखोरी का अड्डा

नशाखोरी का अड्डा बनता जा रहा है दिल्‍ली का लाल किला, आए दिन देखने में आ जाएगा कि नशा करने वाले  लोगो किस तरह सड्को पर पडे् रहतें है न उनको अपनी कोई सुध होती है नाहिं वो किसी ओर की सुध करते है वो राह चलते लोगों को लूट लेते है और तो और उनकी जान भी ले लेते है इस नशे के फेरे में बच्‍चे भी फंस गए है बढे तो नशा करते ही हैं लेकिन उन से चार कदम आगे वो छोटे बच्‍चे है जो आनाथ हैं जिनका घर का कोई पता नहीं  जो अपने आप को इस दुनिया का अभिशाप समझते हैं ा वो अपनी इस नशाखोरी को पूरा करने के लिये चलती बसों में चढ जाते हैं और बसों में चल रही उन सवारियों कि जेब काट लेते हैं जो अपने गंतव्‍य तक जाने को तत्‍पर रहती है लेकिन  उसी दौरान जेब कट जाती है और काटने वाले हमारे देश के भविष्‍य होते हैं 
 लेकिन वो ये कहां समझ पाते है उनका भरन पोषण ही उस कुलशित समाज में हुआ जो दूसरों की जान लेकर अपना पेट भरता है उन्‍हें आगे चलकर अपने लिए किसी जरूरत मंद को ही तो लुटना है 
    कुछ लोगों का ता ये तक कहना है कि इन बच्‍चों को इस नशाखेारी से छुटकारा दिलाने के लिए,इन्‍हें नशाखोरी केन्‍द्र में भरती करा देना चाहिए लेकिन ये वो नहीं जानते कि एक बार नशाखोरी की आदत लग जाए तो इतनी आसानी से नहीं छोटती है फिलहाल इस सरकार और हमारे पास इनका  कोई इलाज नहीं है इनसे अगर हमें बचना है तो हमको ही सावधान रहना होगा तभी हम लोग अपने आप और अपने सगे जनो को सुरक्ष्रित पा सकेगें  

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