केदार नाथ में जहां वातावरण में इतनी त्रासदी फैली हुई है वहीं दुसरी ओर दिल्ली में चुनावी प्रक्रिया कि त्रासदी राजनीति गलियारों में फैली हुई है कैदार नाथ कि त्रासदी को देखें तो मुर्दे भी रो पडे लेकिन हमारी सरकार के कुछ नेता इतने बेशर्म हो गए है वो इस त्रासदी को चुनावी एजंडा समझकर उनको अपने चुनाव में अपना रहे हैं लेकिन वो ये भूल गये है कि हमारी जनता सब समझ रही है जिसे ये नेता बेवकूफ समझ कर उन पर राजनीत करने से बाज नहीं आ रहे है केदार नाथ में हुई त्रासदी में मदद करने कि बजाय ये उसका मखूल उडा रहे है लेकिन राजनेता कहां अपनी हरकतों से बाज आने वाले है इनके लिये चाहे कोई भी त्रासदी हो वो सिर्फ ओर सिर्फ राजनीत ही करना जानते है चाहे वो देश में व्यापत संकट का हो या किसी एक जन का हो उन्हे तो अपना फायदा,उस मुददे के अंदर नजर आना चाहिए, उसके लिये वो साम दाम दंड भेद तक के आंकडे लगा देगे चाहे वो किसी भी परिस्थिति के हों
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