इस बार का चुनाव कुछ खास है क्योंकि इस बार कांग्रेस की लगातार तीन साल की जीत का सवाल है कि अब की बार कांग्रेस या कोई ओर ।
कांग्रेस का प्रोगेसिंग कार्ड देंखे तो कांग्रेस ने दिल्ली को तो कई नई चीजों से अवगत कराया है और दिल्ली की विकास की गति को निरंतर बनाये रखा है लेकिन कांग्रेस शासन में 15 साल रही है उस लिहाज से देखा जाए तो कही विकास दर धीमी दिखाई सी पडती है ।कि इतने साल सता में रहने के बाद भी विकास दर की दरों में कहीं वही समरूपता देखने को मिल रहीं है जो उसे उस समय की तुलना में कहीं थोडा सा ज्यादा है लेकिन वो वर्तमान समय के हिसाब से नाकाफी नहीं हैं। क्योंकि विकास की रफतार को जन्म दर की रफतार के समरूप रखना होगा । तभी जाकर ही सही ढंग से विकास सम्भव होगा
लेकिन जहां काग्रेस की विकास दर को देख तो विकास दर तो काफी धीमे दिखाई पडती है लेकिन वहीं काग्रेस के खाते में घोटालों की विकास दर, पिछले 15 सालों में बढी है जो पिछने 05 सालों में 85% की तीव्र दर से बढी है जिसका सीधा असर कांग्रेस कर प्रोगेसिंग रिर्पोट पर पडा है जिसका असर पिछले कुछ दिनों से काग्रेस के मुख्यालयों में भली-भांति देखा जा सकता । जिसके कारण्ा से रोज एक नया मंत्री मंडल चुना जाता है और बदला जाता है
काग्रेस की सत्ता में मंहगाई दर की बात करे तो मंहगाई की विकास दरों ने तो सारी दरों को पीछे छोड अपना ही एक नया ही रिकार्ड जोड दिया । जो आम आदमी को तो आसुओं से रूला गई । काग्रेस तो कहती ही रह गई की हम मंहगाई दर को कांट्रोल कर लेगे । लेकिन मंहगाई दर ने ही कांग्रेस को कांट्रोल कर लिया । मंहगाई ने तो अपना एक नया रिकार्ड बना दिया जो, शायद आने वाले कई सालों में भी नहीं टूटेगा और कांग्रेस को सत्ता से निकलवा देगा ।
काग्रेस के पक्ष में फिलहाल एक बात जाती दिख रही है वो सरकारी नौकरियां करने वाले लोगो को ''मंहगाई दर का भत्ता देना ''
क्योंकि सरकारी नौकरी करने वालों का वेतनमान कांग्रेस ने ,इन 15 सालों में 65% से भी अधिक गति से बढाया है और मंहगाई भत्ता भी अलग से दिया है जो आम आदमी को उसने कभी नहीं दिया । उसने प्राइवेट कंपनियों को तो दिशा निर्देश दिए लेकिन उन पर कार्यो करने को नहीं कहा ।जिससे प्राइवेट नौकरी करने वाले व्यक्तियों का वेतन नहीं बढा। वहीं दूसरी ओर मंहगाई ऐसी बढी जैसे कि किसी जंगल में आग तेजी से बढती है ।इस कारण से आम आदमी को आत्मा हत्या करने को मजबूर होना पढा ।
जहां कांग्रेस कर चौतरफा आलोचना हो रहीं है और उसे इस बार सत्ता में नहीं लाने कि कावायद चल रही है वहीं दूसरी ओर सरकारी नौकरी वाले लोग काग्रेंस को पूर्ण बहुमत से जीत दिलाने कि कोशिश्ा में लगे हैं।
बरहाल कुछ भी हो कांग्रेस जीते या हारे, हर हाल में पिसेगा तो आम आदमी ही जो अपने आपको कॉमन मैन कहता है और हमेशा ही पिसता है
कांग्रेस का प्रोगेसिंग कार्ड देंखे तो कांग्रेस ने दिल्ली को तो कई नई चीजों से अवगत कराया है और दिल्ली की विकास की गति को निरंतर बनाये रखा है लेकिन कांग्रेस शासन में 15 साल रही है उस लिहाज से देखा जाए तो कही विकास दर धीमी दिखाई सी पडती है ।कि इतने साल सता में रहने के बाद भी विकास दर की दरों में कहीं वही समरूपता देखने को मिल रहीं है जो उसे उस समय की तुलना में कहीं थोडा सा ज्यादा है लेकिन वो वर्तमान समय के हिसाब से नाकाफी नहीं हैं। क्योंकि विकास की रफतार को जन्म दर की रफतार के समरूप रखना होगा । तभी जाकर ही सही ढंग से विकास सम्भव होगा
लेकिन जहां काग्रेस की विकास दर को देख तो विकास दर तो काफी धीमे दिखाई पडती है लेकिन वहीं काग्रेस के खाते में घोटालों की विकास दर, पिछले 15 सालों में बढी है जो पिछने 05 सालों में 85% की तीव्र दर से बढी है जिसका सीधा असर कांग्रेस कर प्रोगेसिंग रिर्पोट पर पडा है जिसका असर पिछले कुछ दिनों से काग्रेस के मुख्यालयों में भली-भांति देखा जा सकता । जिसके कारण्ा से रोज एक नया मंत्री मंडल चुना जाता है और बदला जाता है
काग्रेस की सत्ता में मंहगाई दर की बात करे तो मंहगाई की विकास दरों ने तो सारी दरों को पीछे छोड अपना ही एक नया ही रिकार्ड जोड दिया । जो आम आदमी को तो आसुओं से रूला गई । काग्रेस तो कहती ही रह गई की हम मंहगाई दर को कांट्रोल कर लेगे । लेकिन मंहगाई दर ने ही कांग्रेस को कांट्रोल कर लिया । मंहगाई ने तो अपना एक नया रिकार्ड बना दिया जो, शायद आने वाले कई सालों में भी नहीं टूटेगा और कांग्रेस को सत्ता से निकलवा देगा ।
काग्रेस के पक्ष में फिलहाल एक बात जाती दिख रही है वो सरकारी नौकरियां करने वाले लोगो को ''मंहगाई दर का भत्ता देना ''
क्योंकि सरकारी नौकरी करने वालों का वेतनमान कांग्रेस ने ,इन 15 सालों में 65% से भी अधिक गति से बढाया है और मंहगाई भत्ता भी अलग से दिया है जो आम आदमी को उसने कभी नहीं दिया । उसने प्राइवेट कंपनियों को तो दिशा निर्देश दिए लेकिन उन पर कार्यो करने को नहीं कहा ।जिससे प्राइवेट नौकरी करने वाले व्यक्तियों का वेतन नहीं बढा। वहीं दूसरी ओर मंहगाई ऐसी बढी जैसे कि किसी जंगल में आग तेजी से बढती है ।इस कारण से आम आदमी को आत्मा हत्या करने को मजबूर होना पढा ।
जहां कांग्रेस कर चौतरफा आलोचना हो रहीं है और उसे इस बार सत्ता में नहीं लाने कि कावायद चल रही है वहीं दूसरी ओर सरकारी नौकरी वाले लोग काग्रेंस को पूर्ण बहुमत से जीत दिलाने कि कोशिश्ा में लगे हैं।
बरहाल कुछ भी हो कांग्रेस जीते या हारे, हर हाल में पिसेगा तो आम आदमी ही जो अपने आपको कॉमन मैन कहता है और हमेशा ही पिसता है
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