Monday, 11 September 2017

दम नही है विपक्ष में

2014 से अब तक भारत सरकार विरोधी पार्टियों का आकलन करें तो कही न कही विरोधी घुटने के बल दिख रहे हैं जिनका कद सरकार से कहि ज्यादा छोटा है, लगातार झटपटाहट ही उनकी हार को दर्शाती है। पिछले दिनों के सफरनामे पर रोशनी डाले तो है सरकार विरोधी दल मुँह के बल गिरे हैं जो भारत सरकार की उपलब्धी गिनी जा सकती है जिसके चलते विभिन्न दलों ने नीतिगत रास्ता छोड़ कर अनीति और षडयन्त्र का रास्ता चुना है। जिसके कारण पिछले कुछ दिनों में भारत में हिंसक घटनाएं घटी जिसके केंद्र में कहीं न कही सम्पूर्ण विपक्ष था उसके उपरान्त भी सरकार को घेर सकने में विफल रहा जो उसका गिरते आत्म विश्वास को दर्शाती है जिसके चलते बिहार में महागठबंधन बनाया गया और सम्पूर्ण विपक्ष एक जुट होकर लड़ा और जीता भी लेकिन कुछ ही समय के बाद लालू की घोटाले वाली छवि और राहुल गांधी की दूरदर्शिता मे कमी का फायदा अमित शाह ने उठाया और बिहार में सभी दलों को मुँह के बल चित करके दल को तोड़ देने में सफल रहे जिसके चलते बिहार में एन डी ए की सरकार का रास्ता साफ हुआ और मुख्यमंत्री नीतीश ने रातों रात योजना बना कर अगली ही सुबह दूसरे दल के साथ सरकार बना डाली और एक बार फिर अन्य दल मुँह तांकते रह गए। कुछ ऐसा ही गुजरात मैं भी देखने को मिला जिसमे अहमद पटेल ने अपनी सीट बचाने के लिए अपने विधायको को बंदी बना लिया था उन्हें डर था कि अमित शाह उन्हें भी न खरीद लें।बरहाल पटेल ने अपनी लाज बचा ली थी लेकिन जीत का अंतर बहुत ही कम था । इससे पहले भी राज्य चुनाव में भाजपा ने ही बाज़ी मारी थी । 5 राज्य के चुनाव में से 4 राज्य में अपनी सरकार कूटनीतिक तरीके से बनाई थी जिसका श्रेय भी अमित शाह को ही जाता है जिनको विपक्ष का कातिल तक कह दिया गया था जो सही मायने मे विपक्ष की बूकलाहट ही थी जिसके चलते ग्वालियर में किसानों को भड़काना सरकारी सम्पति को नुकसान पहुचाना इत्यादि किया गया जिसका सच बाद मे सब के सामने खुल कर आया और विपक्ष की किरकिरी तक हुई लेकिन  विपक्ष ने फिर भी हत्यार नही डाले
हाल फिलहाल के गौरी लंकेश की हत्या के मुद्दे को राहुल ने भुनाने की बहुत कोशिश की लेकिन यहां भी भारत की जनता का विश्वास मत न पा सके क्योकि कर्नाटक में कांग्रेस का ही शासन है और कांग्रेस न बिगर चांज किये सीधा मोदी जी को ही कटघर में ला खड़ा किया जिनका ये दाव उल्टा पड़ गया और खुद ही राहुल गांधी इससे किनारा करते दिखे।
कुल मिलाकर विपक्ष हर मोर्चे पर सरकार को घेरने में विफल रहा और अपनी रही सही साख भी गवा दी।

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