कौन कहता है हिन्दी का कद छोटा है।
हिन्दी तो विश्वव्यापी अग्रणी की वक्ता है।।
चंद सफरनामें और खबरों का गढ़ मोटा है।
कौन कहता है हिन्दी का कद छोटा है।।
वर्तनी, युग्म, शब्द सखा सब।
राग, तम्य्, सरस रस, सब श्रोता है।।
हिन्दी को स्वर, तालु, कंठ सबने परखा है।
कौन कहता है हिन्दी का कद छोटा है।।
स्वंम में सारा संसार समाये ।
खुद जननी खुद मां कहलाए।।
जिसने बोलियों की सीमाओं को खुद में समेटा है।
कौन कहता है हिन्दी का कद छोटा है।।
सबको समान इसने देखा है ।
भेदभाव की कटुता को झेला है।।
अडगी रहकर पथ पर सबको इसने रौंदा है।
कौन कहता है हिन्दी का कद छोटा है।।
वातस्लय सदा भर अपने में ।
आंचल में छुपाया सबको है।।
कण कण में ज्ञान की ज्योत जलाई है।
हिन्द की इसने की अुगावाई है।।
कौन कहता है हिंन्दी का कद छोटा है।।
सोहन सिंह
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