बिहार राज्य में जो कुछ भी हो रहा है उसका जिम्मेदार कौन है कुछ इस प्रकार के प्रश्न,आज हर उस भारतीय के मन को कुरेद रहे है जिन्होने इस प्रकार का मिड डे मिल का कांड सुना या देखा है आज हर वो व्यक्ति परेशान है जिसको भारत से प्यार है ओर जो इस देश को अपना मानता है जिसके लिए वो हमेशा ही तैयार रहता है लेकिन कुछ अपवाद हमारी चुनी हुई व्यवस्था में कुंडली मार करके बैठे है जो मात्र अपने सत्ता मे पकड बनाने हेतू किसी भी प्रकार के काम से नहीं चुकते चाहे उसमें किसी की भी जान जाए कोई मरे या जिए उन्हें इन बातों से क्या लेना वो अपनी स्वार्थ सिद्व के लिए किसी को भी जहर देने के लिए तैयार हैं
बिहार में एक के बाद एक मिड डे मिल कांड ने सता में बैठे उन सत्ताधीशों की सच्चाई से पर्दा हटा दिया है जो मासूम बच्चों की जिन्दगी के साथ भी खेल सकते बशर्ते उन्हे उनमें फायदा दिखाई देता हो लेकिन जांच के नाम पर आपस में लडना भली-भांति जानते हैं लेकिन उनको आम जनता के सरोकारो से क्या लेना-देना वो तो सिर्फ अपने वादों की खाते है और रात को चैन की नींद सो जाते है मिड डे मिल प्रकरण में उन्होने आदेश तो पारित कर दिए है लेकिन अब देखना ये है कि रिर्पोट कब तक आती है या आती ही नहीं ा उन्हे उस मां के साथ कोई सरोकार नहीं जिनकी संतान इस मिड-डे मिल का शिकार हुई क्योंकि हादसा हुआ बिहार में राजनीति शुरू हो गई दिल्ली में, सब राजनेता भूल गये उस मां कि सुध लेना जिसने अपना मासूम बच्चा मात्र पढाई करने के लिए भेजा था और उसको दूषित(जहर ) खाना खिलाकर मार दिया गया,इस जिम्मेदार वो अपने ही पडोसी पार्टी के मेम्बर को ठेहरा रहे है लेकिन कोई भी इस की जांच की ओर नहीं देख रहा है लकिन ये कांड विहार में हुआ है इसके तार बीजेपी से भी जुडें जा रहे है लेकिन ऐसे ये नेता आपस मे बहस करते आरोप-प्रत्यारोप करते रहे तो इस शर्मनाक घटना को अजांम देने वाले लोग कहीं छूट न जांए लेकिन सत्ता का चौथा स्तंभ जिसकी आज तारीफ करने का मन कर रहा है उसने इस पूरे प्रकरण को खोल कर रख दिया है जो अपने कर्तव्य को भलि-भांति निभा रहा है लेकिन इस के बावजूद भी बिहार में इस कांड के आरापियों की गिफतारी तक नहीं हुई ा अब सवाल ये उठता है कि सरकार का तो इस में कहीं हाथ नहीं क्योंकि इतना सब होने के बाद में भी जांच एंजेसियों के हाथ खली हैं लेकिन बिहार के मुख्य मंत्री को क्या लेना, इस अनपढ गंवार जनता से, वोट ही तो मंगना होगा वो मांग लेगें ज्ररा सा लालच देकर ,लेकिन उन बच्चों की सुध लेने क्यों जाएगे जो जहरीला खाना खा कर मर गए उनका अपना उसमें कोई नहीं था शायद ये भी एक कारण हो सकता है उन्हें न देखने का,लेकिन राजनेताओं को एक मुद्वा मिल गया राजनीति करने का एक दूसरे पर आरोप मड्ने का,कि भई हम होते सत्ता में तो ऐसा कतई नहीं होने देते ,लेकिन कब तक कहां तक जनता इनके झूठे वादो को सच्च मानकर इन्हें सत्ता कि गददी पर बैठाती रहेगीा आखिर कब तक, जिस दिन इस प्रश्न का जवाब मिल गया तो शायद कभी आम आदमी का दम नहीं निकलेगा

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