बढ़ती मंहगाई और
घटती कमाई, सुनने मैं बढ़ा
अटपटा लगता है लेकिन वर्तमान कि हकीकत यही है मंहगाई दिन पे दिन बढ़ रहीं है और
कमाई दिन पे दिन घटती जा रही
मंहगाई वो डायन बन कर आयी है जो कितने
परिवारों को तो भुखा सुलाती है लेकिन खुद मजे से सोती है और दिन पे दिन फलती-फूलती
रहती है जिसके वजह से आम आदमी परेषान रहता है कही उस पर खाने को रोटी नहीं तो कहीं
पहनने को कपडा नहीं।
पर हमारी सरकार में बैठे हमारे आदरणीय
मंत्रीगणों को इस मंहगाई की मार के बारे में षायद ही पत्ता हो कि भूखें पेट सोना
कितना कठिन होता है, इस मंहगाई ने आम
लोगों के घर का बजट तो बिगड़ा है ही, लेकिन उससे ज्यादा हमारे आदणीय मंत्रीयों के नाक में दम कर
रखा है जो इस मंहगाई से जनता को बचाना तो चाहते हैं लेकिन बचाने कि हिम्मत नहीं
जुटा पा रहे।
लेकिन प्रष्न तो ये उठता है कि ये आखिर हिम्मत
क्यों नहीं जुटा पा रहे मंहगाई को कम करने कि, तो सुनिये इनका मत क्या होता है जब भी कोई
रिपोर्टर इन से पूंछता है कि इस मंहगाई को कम करने के लिए आप क्या कर रहे हो ?
इन पर एक ही जबाब होता है
कि वैष्वीक मंदी के कारण रूपया डॉलर के मुकाबले, कम कीमत बाजार से उठा रहा है लेकिन हम फिर भी
कोषिष में लगे हुए है कि मंहगाई को जल्दी ही काबू कर लेगें। हमारे आदरणीय
मंत्रियों को षायद ये नहीं पता है कि हमारा देष कृशि प्रधान देष है रूपया डोलर के
मुकाबले कितना भी गिर जाये लेकिन हमारे देष में कोइ भूखा सो ही नहीं सकता क्योंकि
हमारे देष में आनाज 80 प्रतिषत तक पैदा
होता है और जो इस बात को साफ स्पश्ट करता है कि हम भारतीय कभी भूखे सो ही नहीं
सकते लेकिन वर्तमान कि धारणा कुछ ओर ही है 80 प्रतिषत आनाज पैदा होने के बावजूद भी हमारी
आबादी की आधी जनता दाने-दाने को मोहताज है ये सिर्फ सरकार कि गलत नीतियों और
योजनाओं के कारण ।
लेकिन ये काग्रेसी कहां जानते हैं कि पंजाब और
उत्तर प्रदेष ऐसे राज्य है कृशि की दृश्टि से,जो पूरे विष्व में न-3 पर हैं, ये आष्चर्यचकित करने वाला तथ्य हैं लेकिन सत्य
यही है एक सत्य और है जो न्यूज चैनल समाचार पत्रों में बढे जोर षोर से हर साल
उछलता है वो है आनाज कि लाखों टनों कि बर्बादी, और जिसकी जिम्मेदारी इस सरकार कि होती है कि वो
इन आनाजों को बिगड़ने न दे और इस मंहगाई के दौर में लोगों को नौकरी न दे सके,लेकिन खाने को अनाज तो दे
लेकिन ऐसा होता
ही नहीं हैं अनाज बरसात में भीग कर सड़ जाए गाय भैंस भी खाने से इनकार करती हैं तो
उसे इंसान कैसे खाएगें। लेकिन इतना सब होने के बावजूद भी सरकार की नींद नहीं खुलती
है तो ऐसी सरकार को इस बार वोट देकर क्यों चुने
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